बस हिंसा न अपनाना है।
हे! युवा प्रखर तुम बुद्धिमान ,तुम शांति के हो नवविहान।
संघर्ष आपका जायज है,और जीत आपकी पक्की है।
फिर क्यूं धैर्य को त्याग रहे,अपने देश को आग रहे।
हो सकता है कुछ तमाशबीन,नाजायज दुष्ट और जहीन।
आपके प्रदर्शनों में आ रहे, और लक्ष्य को भटका रहे।
तुम जागृत हो,तुम सिंह हो,हो भारत माँ की संताने,
एक हुँकार तुम्हारा काफी है,वैसे भी शासन डरा हुआ।
बस शांति का परिचय दो,और दुष्टों को पहचानो ,
पूरा देश देश आपका साथी है,यूँ जंग न अपनों से ठानो।
पूरा देश देश आपका साथी है,यूँ जंग न अपनों से ठानो।
यह लोकतंत्र की थाती है,बस इसको तुम्हे बचाना है।
और जीत आपकी पक्की है,बस हिंसा न अपनाना है।
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