हे ! अन्ना!तुम नहीं अकेले!
नवजवानों,
हूंकार भरो,नव जोश धरो,
करो शंखनाद ऐसा,
नव पावँ धरो,नव-डग-मग में,
अब हो क्रांति ऐसा.
सरकार
हमारे दम पे है,हम जनतंत्र के स्वामी,
हम लोकतंत्र को माने है,
पर होती अब हैरानी.
ये तानाशाही,लोकशाही,
सबको सिखाना है,
अब लोकतंत्र की मर्यादा,
हम-सब-को-मिल बचाना है.
हे ! अन्ना!
तुम नहीं अकेले ,
तुम नहीं अकेले ,
हम युवा सब संगी.
हम सब है, संगी.
एक नव इतिहास रचाना है.
हम बदले है,जग सुधरेगा,
अब भ्रष्टाचार मिटाना है.
अब भ्रष्टाचार मिटाना है.
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