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भ्रष्टाचारियों भारत छोड़ो!

kaushal vichar
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 आज अनशन का चौथा दिन है , फिर से वन्देमातरम का उद्घोष ,भारत माता की जय के गगनभेदी नारे गुंजायमान हो रहे है. आज सब लोग भाषा,धर्म,जाति से ऊपर उठ कर कुछ सोच रहे है . युवाओं की अलसाई आँखों को कुछ लक्ष्य दिख रहा है . आजाद भारत का बापू जंतर-मंतर पर लेटा हुआ मुस्कुरा रहा है , जैसे गाँधी जी से कह रहा हो की आजादी के ६० साल बाद आप फिर हमारी रूह में उतर आये हो. आज जहाँ पूरे विश्व में हथियारों और युद्ध की तूती बोल रही हो. जहाँ लोग अहिंसक होकर सरकार के विरोध में खड़े हो रहे हो. वहीँ अन्ना हजारे ने अहिंसा के अस्त्र का पुन संधान किया है . जैसे सारे विश्व को आगाह कर रहे हो की “अहिंसा परमो धर्मं की शक्ति ” कोटि परमाणु बम्ब से ज्यादा है .

हस्तक्षेप.कॉम के एक संपादक महोदय ने लिखा की अन्ना संसद और सरकार का अतिक्रमण करना चाह रहे हैं जो लोकतंत्र की भावना के खिलाफ है . महोदय ने पूर्ववर्ती सरकारों को कटघरे में खड़ा करते हुए पूरे आन्दोलन की शुचिता पर सवाल खड़ा किया है . बड़ी विनम्रता से मन में प्रश्न उठता है की यह लोकतंत्र की किस परिभाषा में लिखा है की संसद या सरकार जनता से भी बड़ी होती है . महोदय शायद लोकतंत्र के पहले शब्द को ही भूल गए हैं. लोकतंत्र लोक और तंत्र से जुड़ा हुआ है . लोक या जनता ही सारे तंत्र की जननी है . और जनता ही सबसे ऊपर है . तो अगर जनता को लगता की उसकी चुनी हुए सरकार उसके हित में काम नहीं कर पा रही है या करना नहीं चाहती . तो संसद / सरकार से जनता बिरोध तो करेगी ,इसमे फिर अतिक्रमण का भाव ही नहीं रह जाता. यह तो विरोध है ऊपर से पूर्णतया लोकतांत्रिक और अहिंसक.

“अंग्रेजो भारत छोड़ो”(१९४२) की घटना की बीते हुए लगभग ७० साल होने को आये है . इन ७० सालो में क्या बदलाव आया है यह आप सहज ही देख सकते है . हमसब आजाद भारत में अपने सपनो को बुनते आये है और अपनी श्रमशक्ति से आज भारत को विश्व की उभरती हुए अर्थव्यवस्था की श्रेणी में ले आये हैं. जबकि भ्रस्टाचार और काले धन ने इस देश को उतना लूटा जितना अंग्रेजो या दूसरे आक्रमणकारियों ने भी नहीं लूटा होगा. हम डाटा पर नही जायेंगे . सारे डाटा htpp://www .indiaagainstcorruption .com आदि या गूगल पर देखा जाया जा सकता है . अभी हम सबने विश्व कप (क्रिकेट) का आनंद लिया जब एक अरब से ज्यादा लोगों की आँखे और धरकने एक-एक गेंद और रन के पीछे लगी हुए थी, तो क्या हम सब भ्रष्टाचारियों को हटाने के इस महाकुम्भ में अपनी जान नहीं लगा सकते. आज मौका मिला है ,आज कोई जगा रहा है, जागो और ७० साल के बाद फिर देश के दुश्मनों को देश से दूर कर सको, और अपनी आने वाली नस्लों के लिए एक नए भारत निर्माण में लग जाओ.जहाँ एक ड्राइविंग लाईसेन्स बनवाने के लिए २००० रूपये न देने पड़ते हो. तो जागो,उठो,लड़ो और आगे बढ़ो और कसम खा लो की जब तक भ्रस्टाचार को मिटाने वाला जन-लोकपाल बिल सरकार मान नही लेती हम यूँ ही लड़ते रहेंगे,भूखे रहेंगे और देश के सारे जेल को इतना भर देंगे की सरकार बौखला कर हमारी बात मानने को मजबूर हो जाएगी.

 “हम जान लगा देंगे,

 अपना बलिदान चढ़ा देंगे.

 ये देश तेरे सारे दुश्मनों को,

 हम धूल  चटा देंगे.”

जय हिंद! वन्देमातरम!

anna_hazare5 

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