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अन्ना की चिंगारी में!

kaushal vichar
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06TH_ANNA_HAZARE_522121f

े!युवा शक्ति ,ललकार तुम्हे,क्या जोश नहीं है जवानी में,
क्या गर्म खूँ के हिचकोले,डोले नहीं रवानी में.
इक अन्ना आज बना गाँधी,
इस देश के खातिर लड़ता है.
अपने प्राणों की आहुति बना,
इस देश-यज्ञ में,पड़ता है.
तुम तो सब हो युवा तुर्क,
किस और तुम्हारा ध्यान अभी.
जब देश ही नहीं बचेगा तब,
क्या खाक जियोगे फिर कभी.
उठो,लड़ो,आगे बढ़ो,यौवन की तन्द्रा तोड़ो.
यह युद्ध बड़ा भयंकर हो,जन-जन को इससे जोड़ो.
अन्ना की चिंगारी में,
कुछ किरण और सब मिल फूंको.
हूँकार भरो प्रलय की सब,
अब पग-डग-मग न रोको.
अब भ्रष्टाचार मिटाना है,
जेहाद है यह,है देश युद्ध.
जड़ से फूंको,तापो इसको,
ख़त्म करना है इसको,विशुद्ध.
जिस युवा ह्रदय का खून न खौला,फिर भी इस बेईमानी से.
धिक्कार है फिर जवानी को, जो खून बन गया पानी से.

  

 

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