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क्या हम इजिप्ट जैसी क्रांति कर सकते हैं?
आज ७००० हजार साल के इतिहास में वंश परम्परा के उत्तराधिकार के बिरुद्ध जिस तरीके का साहस मिस्र के लोंगों ने दिखाया और जिस दमख़म,
एकता और अतुलित साहस के साथ फेराओं(मुबारक) को सत्ता से बाहर कर एक नई जन क्रांति और लोकतंत्र की स्थापन के लिए कार्य किया उसकी प्रशंसा शब्दों में नहीं की जा सकती,सभी मिस्र वासी बधाई के पात्र हैं,उनका साहस इतिहास में स्वर्ण अध्याय जोड़ गया है.
अब बात मुद्दे की है,आखिर जिस भ्रष्टाचार के खिलाफ सारे इजिप्ट के लोग एक हो सकते हैं,और ये अफ़्रीकी महाद्वीप में शेर की भांति हूंकार भर कर एक ही झटके में भ्रष्टाचारियों को सबक सिखा सकते हैं, वो भी बिना किसी रक्त-क्रांति के. तो क्या भारत जैसे देश में जहाँ ६० प्रतिशत से
अधिक लोग युवा है, उनके नसों में गर्म रक्त की तरंगे हिचकोले मार रही हो, भले ही इन युवाओं में आधे से ज्यादा मतदान दिवस को होलीडे
की तरह ट्रीट करते हो. और किसी काफी हाउस में नेताओं और देश को कोस रहे हो. यही प्रश्न है और यही उत्तर भी. जिस देश में लोकतंत्र के खातिर,वोट देने के लिए सारे लोग अपनी जान पर खेल रहे हों. और दूसरी तरफ क्या क्रूर विडंबना है की अपने प्यारे देश में जिसकी बुनियाद ही
लोकतंत्र से पड़ी हो,वहां मतदान का प्रतिशत मात्र ४० से ५० ही होता है. फिर टोन कसते हैं की अपने देश में क्रांति क्यों नहीं हो सकती.
शुक्र मनाओ ,की मीडिया और अख़बार जिन्दा है, वरना और क्या क्या होता. सपने भी नहीं सोचे होगे.
वैलेंटाइन डे सबको याद रहता है, बड़ी तैयारी करते हैं, पर देश के साथ असली प्यार करने और जताने के दिन (मतदान दिवस ) को भूल जाते हैं.
काश अपना वैलेंटाइन पार्टनर यह देश हो ,अपना प्यारा देश.
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