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आततायी ,आक्रान्ता,बाबर ने,
लूटा हिंदुस्तान को.
धन,धर्म,और सत्ता लूटी,
अपने देश महान को.
जिसका विष्मरण जन-जन को,
उस युग की याद दिला देता.
लूटे गए भारत के गौरव से,
आंसू छलका देता.
वैसे भी मस्जिद बाबरी,
मीर बांकी ने थी बनवाई.
नमाज पढ़ने के खातिर,
मुस्लिमों की गर्दने थी, कटवाई.
माना की मंदिर के अदभुत,
भरे हुए स्वर्ण-भंडार.
हीरे-जवाहरात भी अक्षय,
थे लूट के निमंत्राधार.
माना की धर्म के नाम पर,
कोटि-कोटि हुए संहार.
कोटि-कोटि मंदिरों को तोड़ा.
हुए भयंकर अत्याचार.
कोई भी आज का मुस्लिम,
मुक्कम्मल इमानधारी.
जायज नहीं मानेगा उसको,
जो थे सब अत्याचारी.
मक्का और मदीने में,
हज करने सब जाते हैं.
हिन्दू भी दरगाहों में भी,
अपना शीश झुकातें हैं.
एक सत्य और अटल सत्य,
जब सबको मालूम है.
मंदिर प्रभु श्री राम का ही बनना है,
फिर क्यों इतना हूल है.
आज मुसलमा एक तुम रहो,
दूर भगाओ गद्दारों को.
मंदिर की नीवं खुद रखदो,
झुठलाओं बुरे विचारों को.
फिर देखो कैसे हिन्दू-ह्रदय,
मोम बन जायेगा.
मस्जिद भी बन जाएगी.
और गंद-राजनीति मिट जायेगा.
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