kaushal vichar
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घुप अन्धेरें में कहीं ,
इक रोशनी का कतरा न हो.
चाहतो के बादल में ,
इक बूँद भी नखरा न हो.
तो भी ये सोच न मन ,
दूर टिमटिमाता तारा,
देख तुझको देखता है,
तेरी चमक उसकी चमक,
और उसने तेरे खातिर
कर दिया मजबूर,
अपनी चमक को ,
टिमटिमाने के लिये
की काश ,
तेरी चमक का हौसला,
कुछ जाये बढ.
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