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सारे वन्धन नारी खातिर ,किस संसार में रहते हो.

kaushal vichar
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नौ-महीने पेट में पाले,
रक्त,मज्जा से हमे संभाले.
असहनीय पीड़ा सहकर,
जीवन के हर कष्ट खंगाले.
माँ है!
उनमे से कोई,
बहन ,प्रेयसी ,भार्या
या जीवन का किसलय सोई .
किस रूप में इसे चाहते,
यह तो निर्झर बहता जल है.
जिस पात्र में धारण करते,
उसी पात्र में इसका ढल है.
क्या अनुदार,उदार,वात्सल्य,
क्षमता,नमता,दया सुजास.
अपने कोमल हाथो से,
सृष्टि गढने का प्रयास.
हाय ! तुम्ही हो सूरज,चंदा,
इस जीवन में.
और तुम्ही को बांधे फंदा,
इस जीवन में.
एक शर्त है ,
जो भी जारी करता फ़तवा.
या वो सारी पंचायतों को.
जो नित नियम बनाया करता.
सारे फ़तवा ,नियम कायदे ,
उन नारियों पर आजमाओ.
जिसको तुमने (पुरुषों ने)किया है पैदा ,
अगर कर सको तो बतलाओं.
शर्म नहीं आती है तुमको,
जय माता दी कहते हो.
सारे वन्धन नारी खातिर,
किस संसार में रहते हो.
सारे वन्धन नारी खातिर ,
किस संसार में रहते हो.

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