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जीने की चाहत होती है सबको,
यह अटल सत्य सब जान लो.
यदि जन-गन-मन में हिंसा उपजी,
तो उसको भी पहचान लो.
वर्षो से दुबले -कुचले है,
घुट-घुट जीने को मजबूर,
शोणित,शोषित,और दबाये,
जाते हो नित दिन जो घूर.
क्या यह भारत देल्ली है,
या चमक मुंबई ,गोवा की.
कुछ bse ऊपर जाता .
या फिल्मसिटी है जोवा की.
allen -solly से नीचे न,
या levis से भी पंगा है.
फिर उनका क्या होगा.
जो बर्षो से नंगा है.
escort ,fortis ,apollo ,
या lilawati ही जाते है.
कुछ लोग केवल बस ,
एक paracitamol बिना मर जाते है.
ऑक्सफोर्ड,सैंट,या DU
इससे नीचे की क्या सोचे.
दूजे वे नंगे बच्चे,
एक primary में भी न पहुचे.
होटल हयात में जाते है,
ताज से नीचे न खाना खाते है.
कुछ लोग बेचारे वर्षो से,
एक सुखी रोटी हित ललचाते है.
मक्खन ,दूध,मलाई,
उनके कुत्तों को न भाता है.
एक दुधमुहा भूखा बच्चा,
बस भूख से मर जाता है.
क्यू चौड़ी लाइन खीच रहे,
मेरे इंडिया और भारत में.
फिर कहते हो की,नक्सल है,
इस जनतंत्र की महाभारत में.
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