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जैसे राबरी के नाम पर : मुख्यमंत्री लालू जी रही.

kaushal vichar
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राघव चाचा खीस निपोरे,
जा पहुंचे प्रधानिन घर.
एकठी बहुतए बढ़िया
समाचार हम लाये धर.
सुनत हो निरहू डिल्ली मा,
अब बहुतए घमासान मचा.
मेहरारुयें कै अब दिन बहुरे.
देखव ई समाचार छपा.
३३ परसेंट आरक्षण अब
इनका जाई मिल.
यें सब बाबुगीरी करिहैं,
औ तू निरहू जाबो,
माटी मा मिल.
निरहू बाबू सुरती ठोके,
औ मुच्छो पर धर कर ताव.
अरे! अब्हिनव,तुहरे चाची.
ई गाँव कै हैं ,प्रधान.
लेकिन पूरे मौजा मा.
हमही बाजे हैं ,प्रधान.
इ तव,बहुतै बढ़िया बा.
आरक्षण से मान मिली.
तोहें न मिली सरकारी नौकरी.
पर तोहरे मेहरारू का काम मिली.
वैसे नाम तो वोकर रहियें.
काम हमयें सब करना बा.
यहसे अच्छा अब का होई.
अब तो अच्छा दाम मिली.
राघव थोडा चकराए.
बोले एकठी और सवाल.
का दफ्तर मा चाची न जैहैं.
तव का कुछ होईहै न बवाल.
निरहु आँख निकाल कर बोले.
बहुतै मूरख तू बानी.
अब्हिनव तव तोहरे चाची,
हैं गाँव कै प्रधानिन.
लेकिन कै दिन गई ब्लाक पर,
हमही प्रधानी करत अही.
जैसे राबरी के नाम पर.
मुख्यमंत्री लालू जी रही.
ज्यादा चिंता तू न करा.
अब सब कै दिन फिर जाये.
मेहरारू के नाम पर.
हम सब का नौकरी मिल जाये.

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