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गुणात्मक मॉल में स्वास्थ सेवाएँ प्रमुख रूप से आती है. एक अरब से ज्यादा आबादी वाले मेरे देश में जहाँ सबसे ज्यादा लोग गाओं में बसते हैं वहां अगर सबसे बड़ी समस्या है तो वह है स्वास्थ सेवाओं की.
अपना देश भी बड़ा जुगारू है. कभी कोई डॉक्टर रहा होगा बड़ा माना हुआ,पंहुचा हुआ,खूब धंधा चमकाया था.बहुत मरीज और बहुत पैसा ,लेकिन बेचारा बड़ा परेसान,कभी सुई लगाता ,कभी पट्टी ,कभी ग्लुकोस टांगता
और कभी पुडिया बनाता.एकदम परेसान धीरे -धीरे उसका उत्साह कम होता गया और चिडचिडा भी. एकदिन उसके पुरोहित ने उससे पूछा आखिर डॉक्टर होकर भी इतना परेसान और बीमार से क्यू दिख रहे हो . उसने अपनी सारी कहानी बता डाली. उसने कहा मै अकेला पूरे काम को नहीं संभाल सकता और कोई दूसरा डाक्टर भी नहीं है जिसे मै अपने साथ रख सकूँ . पुरोहित बड़े जोर से हंसा और बोला अपना संतोष है न. डाक्टर को बड़ा आश्चर्य हुआ अरे ओ संतोष क्या करेगा वो तो केवल खेती बाड़ी को भी ठीक से नहीं कर पाता.पुरोहित बोला कौन जानता है की वो पढ़ा लिखा नहीं है. अपने साथ रख लो फिर सब देखते देखते सीख जायेगा. डाक्टर ने उसकी बात मन ली. अब डाक्टर और संतोष दोनों साथ साथ काम करने लगे. देख देख कर कुछ महीनो में संतोष भी सारा काम सीख गया. रही बात दवाओ की तो उसने धीरे-धीरे सारी दवाये रट ली. अब एक तुकबंदी वाले कवि के तरह वो भी कुछ मरीजो को तुकबंदी माफिक दवाये देने लगा. कुछ महीनो बाद उसे लगा की सारा काम तो मैं करता हूँ और सारा पैसा डाक्टर रख लेता है. फिर क्या एकदिन उसने भी एक कमरा किराये पर लिया और बड़े-बड़े अछरों में लिख दिया ‘डाक्टर संतोष’.
अब संतोष डाक्टर बन गया उसकी भी खूब चली और उसने भी एक चेला रखा जो आगे चल कर वो भी डाक्टर बन गया. अब तो कई चेलो की श्रिंखला ही शुरू हो गई और रफ़्तार पकड़ लिया इस झोला छाप डाक्टरी ने. आज जिधर देखो हजारो संतोसो की पैदावार है. इनकी फसल खूब चमक रही है. और हम सभी एक प्रयोग के विषयवस्तु बन जा रहे है.
सरकार तो कुछ करेगी नहीं .
इसलिए.
इस नवरात्रे में,
माँ तू कुछ कर दे.
हे प्रभु!अब तो,
कुछ ऐसा वर दे.
अब नहीं चाहिए .
और कोई.
कुछ ऐसा धर दे.
पैदा करो तो केवल
डाक्टर ही डाक्टर.
या सबको अमर कर दें.
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