जागो आम जनता जागो !
ठाकरे साहब कहते है मुंबई मराठी मानुस की है,देल्ली वाले बिहारी बोलते है,गुजराती भईया भाई कहते है आदि आदि.किसको कहते है जरा दिल और दिमाग पर जोर दे क्या एक भी ऐसे आदमी का नाम जेहन में आ रहा है जो तथाकथित इलीट क्लास का हो चलो छोड़ो कम से कम अपर क्लास का ही हो,जनाब कोई नहीं मिलेगा .मिलेगे तो केवल और केवल लोअर क्लास,लोअर मिडल क्लास जो इन शहरों और प्रान्तों की नीवं बने है.ताज महल को देखने पूरी दुनिया आती है क्या कभी किसी ने उसके नीवं को देखा.नहीं न और देखोगे क्यों वहां तो गुप अँधेरा है चमक नहीं है संगेमरमर की आप को तो चमक से प्यार है अंधेरों से नहीं .लेकिन एक लम्हा अपने दिल पर हाथ रख कर आँख बंद कर मुंबई की सबसे ऊँची बिल्डिंग के छत पर खड़े होकर सोचो अगर नीवों के वो अनजाने गुमनाम पत्थर और ईटे ऊब कर और चिढ़कर एकदम से निकल भागे तो क्या होगा जनाब आप कहा होंगे आसमान में या जमीन पर .
यही हाल है सारे शहरों का . हमसब बार बार केवल टीवी देखते है अख़बार पढते है और सो जाते है फिर कोसते है की यह सब राजनीती है.जिस देश में सबसे ज्यादा युवा है, बड़ी विडम्बना है की उसी देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है.मैथ तो कहती है एक्स इस प्रोपोसनल तो वाई जहाँ एक्स इस रिसोर्सेस एंड वाई इस प्रोडक्सन लेकिन यहाँ तो पूरा उल्टा पुल्टा है .हैं न आदमी बहुत है जवान भी बहुत है पढ़े लिखे भी है तकनीकी ज्ञान भी है तो फिर काम क्यों नहीं है .आप सोचो क्योकि आप लोग तो पारलोकिक सोच के महारथी हो जरूर कोई ऊपर से आएगा और अलादीन का चिराग थमा जायेगा न. नहीं तो इतनी सारे लोग ऊपर से मेहनती और पढ़े लिखे भी एक आवाज भी न उठा सके उन तथा कथित लोगों के खिलाफ जो मात्र भाषा,प्रान्त और जाति के नाम पर आप सब के बीच में लाइन खीचते जा रहे है.मै यह नहीं कह रहा हूँ की आप सब भी उन लोगो की तरह रोड जाम कर दो ,ट्रेन में आग लगा दो ,बस जला दो यह कुछ भी नहीं और करना भी नहीं है. बापू बोले हिंसा नहीं,बुद्ध मुस्कराए बोले हिंसा नहीं करना है ,महावीर भी अहिंसा का विरोध में है. मै भी हूँ आप सब भी अहिंसा परमो धर्मं का पालन करे. लेकिन चुप न बैठे बिरोध करे.शुक्र मानीये आप भारत में है, जनतंत्र ,गणतंत्र में है तो क्यू नहीं उठाते है आप सब जनतंत्र ,गणतंत्र का सबसे प्रभावशाली हथियार इन समाजतोरक,देशातोरक,और लोगोंतोरक के खिलाफ जो किसी हैड्रोजन बम्ब से कम नहीं है . एक बार और केवल एक बार अगर सब मिलकर शांति के साथ एका बनाकर अपने सबसे शक्तिशाली गणतंत्र ,जनतंत्र का “मतदान का अधिकार”का प्रयोग करे पर ध्यान रहे शत प्रतिशत करनाहै.फिर देखीये इसका ब्यापक असर सारे कागजी शेर गायब हो जायेगें जैसे बारिस होने पर कागज गल जाते है. और सबसे मजे की बात तो यह है की अब आपका शस्त्र पहले से और मजबूत हुआ है क्यू की अब नेगटिव वोटिंग का एक और तरीका भी है आपके पास तो जागो भाई लोग जागो अब वोटिंग का दिन छुट्टी का नहीं बदला लेने का है, युध्य का दिन है ,रन का दिन है क्योकि यही वो दिन है जब हम सब को मिल कर अपने देश को बचाना है और इन लोगो को मार भगाना है वो भी शांति के साथ,बापू के साथ. इसलिए अर्ली मार्निंग उठाना है सबको और शत प्रतिशत मतदान कर के ही चाय पीना है.तो एक बार फिर जागो भारतीयों जागो अब और नहीं सोना है,देश और अपने लोगों के दुश्मनों को बताना है, शत प्रतिशत वोटिंग कर इन सबको मार भागना है(केवल शांति के साथ,अहिंसा परमो धरमा)
विजय कुमार कौशल
फैजाबाद
09473934386
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